राजधानी में परमिट की कालाबाजारी, निरंतर फल-फूल रहे ऑटो माफिया
दिल्ली। राजधानी में फाइनेंसर, डीलर, दलालों और माफियाओं का ऑटो रिक्शा (TSR) बाजार पर कब्जा है जिसमें वे लाइसेंस-बैज धारक ड्राइवर से परमिट खरीदने हैं और गरीब ड्राइवर की मजबूरी का नाजायज फायदा उठाकर अनुचित दामों में ऑटो को बेचते हैं तथा यहां कालाबाजारी इस कदर है कि फाइनेंसरों के अलावा एक-एक व्यक्ति पर 15 से 20 ऑटो रिक्शा हैं जबकि दिल्ली सरकार के अनुसार जिसके पास दिल्ली परिवहन विभाग द्वारा जारी वैध लाइसेंस और बैज हो केवल उसी व्यक्ति को परमिट दिया जाता है परंतु ऑटो माफिया तो बिना किसी लिमिट के गैर कानूनी तौर पर अपने पास भारी संख्या में ऑटो रिक्शा रख बेहिसाब कमाई कर सरकार के नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
आपको बता दें कि नए ऑटो रिक्शा की कीमत लगभग ढाई लाख रूपए है परंतु उपरोक्त फाइनेंसर, डीलर, दलालों व माफियाओं की मिली भगत और कालाबाजारी के चलते ही आज दिल्ली में यही ऑटो रिक्शा सात लाख रुपए से भी ऊपर के दामों में मिल रहा है।
साथ ही राजधानी में सभी ऑटो रिक्शा वालों को परिवहन विभाग की ओर से ऑटो में जीपीएस लगाने के निर्देश दिए गए और ऐसा न करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी भी दी गई थी लेकिन फिर भी ऑटो मालिकों ने इस आदेश की अनदेखी कर दी।
राजधानी में इन्हीं माफियाओं के कारण कोई ऑटो ड्राइवर यात्री को मीटर से गंतव्य तक छोड़ने को भी तैयार नहीं होता। यहाँ ऑटो ड्राइवरों के द्वारा मनमाने तरीके से किराया वसूलने का सिलसिला जारी है। अधिकांश ऑटो ड्राइवर मीटर से चलने के लिए तैयार नहीं होते। मीटर से न चलने के लिए उनके अलग अलग तर्क होते हैं। मीटर खराब होना, सीएनजी के दाम और महंगाई का हवाला देकर अधिक किराया चाहते हैं। नतीजा ये है कि यात्रियों को ऑटो में सफर करने के लिए मुंह मांगा किराया देना पड़ रहा है।
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